एक नए अध्ययन से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इंसान जन्म से ही सामाजिक अच्छाई की एक बुनियादी समझ लेकर आते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि महज़ पांच दिन के शिशु भी मददगार (सकारात्मक) और बाधा डालने वाले (नकारात्मक) व्यवहार में फर्क कर सकते हैं—और वे मददगार व्यवहार को ज़्यादा पसंद करते हैं।
“इन बच्चों का सामाजिक दुनिया के साथ लगभग कोई अनुभव नहीं होता, फिर भी वे पहले ही दोस्ताना और शत्रुतापूर्ण व्यवहार, मदद और रुकावट में फर्क समझने लगते हैं। यह हमें मानव स्वभाव के बारे में कुछ बहुत अहम बात बता सकता है,” यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया में मनोविज्ञान की प्रोफेसर डॉ. काइली हैमलिन ने कहा। उन्होंने यह अध्ययन इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ कैटेनिया की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एलेसांद्रा जेरासी के साथ मिलकर किया। यह शोध हाल ही में Nature Communications में प्रकाशित हुआ है।
दयालुता की ओर अधिक आकर्षित
शोधकर्ताओं ने 90 नवजात शिशुओं को छोटे-छोटे एनिमेटेड वीडियो दिखाए। एक वीडियो में, एक गेंद पहाड़ी चढ़ने की कोशिश करती है। दूसरी गेंद या तो उसे ऊपर चढ़ने में मदद करती है (सकारात्मक व्यवहार) या फिर उसे नीचे धकेलती है (नकारात्मक व्यवहार)। शिशुओं की नजरें लगातार ज़्यादा देर तक मददगार दृश्य पर टिकी रहीं।

एक अन्य वीडियो में एक गेंद दूसरी गेंद की ओर बढ़ती है—जैसे उसका अभिवादन करना चाहती हो—जबकि दूसरे संस्करण में वह दूर हटती है, जैसे संपर्क से बच रही हो। एक बार फिर, शिशुओं की निगाहें ज़्यादा देर तक उस गेंद पर टिकीं जो पास आ रही थी।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि शिशु केवल गति पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे, शोधकर्ताओं ने कंट्रोल वीडियो भी दिखाए, जिनमें गेंदें बिना किसी सामाजिक संकेत के केवल घूम रही थीं। इन मामलों में शिशुओं ने कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई, जिससे साबित होता है कि वे वास्तव में सामाजिक भावार्थ पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
डॉ. हैमलिन ने कहा, “इससे पता चलता है कि बच्चे सिर्फ गति के पैटर्न पर नहीं बल्कि उनके पीछे के सामाजिक अर्थ को समझ रहे हैं।”
लेकिन क्या नवजात इतनी अच्छी तरह देख भी सकते हैं?
नवजात शिशुओं की दृष्टि को अक्सर कम आंका जाता है। भले ही वे दूर की चीजें ठीक से नहीं देख पाते, लेकिन डॉ. हैमलिन बताती हैं कि पास की चीजें, खासकर जब वे चलती हों, शिशु अच्छी तरह देख सकते हैं।
उन्होंने कहा, “हमने जो एनिमेशन दिखाए वे शिशुओं के बहुत पास, हाई-कॉन्ट्रास्ट में और बार बार दोहराने के साथ सरल गति में पेश किए गए थे। यही वो चीज़ें हैं जिन्हें नवजात सबसे अच्छे तरीके से देख और समझ सकते हैं।”
क्या हम देखभाल करने के लिए ही पैदा होते हैं?
यह अध्ययन पहले के उस शोध पर आधारित है जिसमें पाया गया था कि 6 से 10 महीने के बच्चे मददगार स्वाभाव को पसंद करते हैं। लेकिन यह पहली बार है जब ऐसे संकेत महज़ कुछ दिन के शिशुओं में देखे गए हैं, जिससे पता चलता है कि यह व्यवहार सीखा हुआ नहीं बल्कि जन्मजात हो सकता है।
डॉ. हैमलिन ने कहा, “पांच दिन के बच्चे ज़्यादातर समय सोते हैं और उन्होंने ज़्यादा सामाजिक संपर्क नहीं देखे हैं, अगर देखे भी हैं तो भी, उनकी कमजोर दूरदृष्टि के चलते वे उसे तभी देख सकते थे जब वह उनके बहुत पास घटा हो।”
इससे यह संभावना कम हो जाती है कि शिशुओं की यह पसंद केवल अनुभव से आई हो।
नैतिकता की जड़ें?
ये निष्कर्ष उस बहस को नया आधार देते हैं जो यह समझने की कोशिश करती है कि क्या नैतिकता सीखी जाती है या जन्मजात होती है।
डॉ. हैमलिन कहती हैं, “नैतिकता के जन्मजात होने या सीखे जाने को लेकर बहुत बहस रही है। यह अध्ययन इस बहस को खत्म तो नहीं करता, लेकिन निश्चित रूप से यह इस ओर इशारा करता है कि हमारी नैतिक समझ के कुछ हिस्से हमारे भीतर जन्म से मौजूद होते हैं।”
इससे स्पष्ट है कि मुस्कराने, बोलने या बैठने से पहले ही शिशु दुनिया को देख रहे होते हैं—और उनमें से कई पहले से ही अच्छे किरदारों का समर्थन कर रहे होते हैं।
Source: News Medical