“जैसे वे लोग बर्ताव कर रहे हैं, उन्हें वैसा ही जवाब मिलना चाहिए। सात महीने के बच्चे को उसके रंग और धर्म को लेकर ट्रोल करना—ये हद से ज़्यादा घिनौना है,” अभिनेत्री ने कहा।
मुंबई: टेलीविज़न अभिनेत्री देवोलीना भट्टाचार्जी ने अपने बेटे जॉय के खिलाफ ऑनलाइन ट्रोलिंग पर सख्त कदम उठाया है। सिर्फ 7 महीने के बच्चे को उसके रंग और धर्म को लेकर ट्रोल किया गया — और यह बेहद शर्मनाक है। देवोलीना ने नफ़रत फैलाने वाले इन ट्रोलर्स के खिलाफ साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कर दी है।
हाल ही में उन्होंने अपने बेटे के साथ एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की, जिसके बाद ट्रोलर्स ने उसके रंग को लेकर अभद्र और नस्लभेदी टिप्पणियां करनी शुरू कर दीं। इससे आहत होकर देवोलीना ने साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज करवाई है।
2000 से ज्यादा निगेटिव कमेंट्स
देवोलीना ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज़ पर ट्रोलिंग के स्क्रीनशॉट्स साझा किए और बताया कि उनके बेटे को लेकर 2000 से भी ज्यादा निगेटिव कमेंट्स किए गए। उन्होंने लिखा, “जैसे वे लोग बर्ताव कर रहे हैं, उन्हें वैसा ही जवाब मिलना चाहिए। सात महीने के बच्चे को उसके रंग और धर्म को लेकर ट्रोल करना बहुत ही घिनौना है। अगर किसी को ऐसे ट्रोलर्स दिखें, तो उनके प्रोफाइल्स और स्क्रीनशॉट्स मुझे भेजें। मैं जल्द ही आधिकारिक शिकायत दर्ज कर रही हूं।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका यह कदम नस्लवाद (Racism) के खिलाफ लड़ाई है और वह एक ऐसे समाज का सपना देखती हैं जहां किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।
“मैं चुप थी, लेकिन अब नहीं”
देवोलीना ने कहा कि एक सेलिब्रिटी होने के नाते उन्हें अक्सर उनके काम या लाइफस्टाइल को लेकर ट्रोल किया गया है। “मैं जानती थी कि जहां प्यार मिलेगा, वहां नफरत भी होगी। मैंने तब भी कुछ नहीं कहा जब लोगों ने मेरी शादी को लेकर सवाल उठाए — जो कि मेरा अधिकार था, मेरी पसंद थी। लेकिन इस बार हद पार कर दी गई।”
उन्होंने कहा कि उनकी चुप्पी को उनकी कमजोरी समझ लिया गया, लेकिन जब बात उनके मासूम बच्चे की आई, तो अब वह चुप नहीं रहेंगी।
“लोग भूल जाते हैं कि नस्लवाद एक अपराध है। मेरा बेटा बड़ा होकर इतना मजबूत बनेगा कि ऐसी चीज़ों का सामना कर सके — आखिरकार वह मेरा बेटा है,” एक्ट्रेस ने कहा।
कई ट्रोल अकाउंट्स गायब हो चुके हैं
देवोलीना ने अंत में कहा कि उन्होंने कानूनी रास्ता अपनाया है और किसी को भी माफ नहीं करेंगी। “मैं यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि किसी और माता-पिता या बच्चे को ऐसी नफरत का सामना न करना पड़े। मैं साइबर क्राइम सेल की आभारी हूं, जिन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया और मेरा साथ दिया। कई ट्रोल अकाउंट्स अब सोशल मीडिया से गायब हो चुके हैं, लेकिन उन्हें जल्द ही ट्रैक कर लिया जाएगा।”
क्या कहता है भारतीय कानून
एडवोकेट हिरण्य पांडेय कहते है कि भारतीय क़ानून में नस्लभेदी टिप्पणी— जैसे किसी आरोपी द्वारा यह कहना कि “बेटा काला है और माँ गोरी”— को संदर्भ और मंशा के आधार पर विभिन्न कानूनी प्रावधानों के तहत परखा जा सकता है। लेकिन यह कोई विशिष्ट नस्लवाद-विरोधी कानून नहीं है।
हालाँकि, कुछ सामान्य कानूनी धाराएँ ऐसी हैं जो इस प्रकार की नस्लीय टिप्पणियों या भेदभावपूर्ण बयानों पर लागू हो सकती हैं, विशेषकर जब उनका उद्देश्य किसी की मानसिक पीड़ा, धार्मिक भावनाओं को ठेस, या सामाजिक वैमनस्य फैलाना हो।
भारतीय न्याय संहिता के अनुसार,
धारा 196:
धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले कृत्यों को दंडित किया जाता है।
धारा 299:
जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कार्यों के लिए सजा का प्रावधान है।
धारा 356 (1) और (2):
यदि कोई बयान किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाता है, तो यह मानहानि (defamation) की श्रेणी में आ सकता है और इस पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989:
यदि कोई बयान एससी/एसटी समुदाय के व्यक्ति को निशाना बनाता है, तो इस विशेष अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई हो सकती है।
बाल यौन अपराधों से संरक्षण (POCSO) अधिनियम:
यदि कोई बयान किसी नाबालिग के प्रति यौन रूप से अनुचित या अपमानजनक है, तो यह अधिनियम लागू हो सकता है और इसके तहत कठोर सजा का प्रावधान है।
इसके अतिरिक्त, पीड़ित ऐसे बयानों के कारण होने वाले मानसिक उत्पीड़न या भावनात्मक संकट के लिए सिविल उपचार भी प्राप्त कर सकते हैं।