C-Section डिलीवरी से बढ़ता है इमरजेंसी हिस्टेरेक्टॉमी का खतरा: स्टडी

मुंबई के कामा एंड अल्ब्लेस अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक स्टडी में यह चिंताजनक खुलासा हुआ है कि सीज़ेरियन डिलीवरी (C-Section) कराने वाली महिलाओं में आपातकालीन ऑब्स्टेट्रिक हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय को शल्य चिकित्सा द्वारा निकालना) की संभावना अधिक होती है। यह एक जीवनरक्षक प्रक्रिया होती है, जो प्रसव के दौरान या बाद में जटिलताओं की स्थिति में की जाती है।

“संकट के बीच उम्मीद: इमरजेंसी ऑब्स्टेट्रिक हिस्टेरेक्टॉमी” नामक इस अध्ययन में चार साल की अवधि में हुए 11,511 प्रसवों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 5,398 (46.8%) सी-सेक्शन थे। इस अवधि में कुल 22 महिलाओं को इमरजेंसी हिस्टेरेक्टॉमी की आवश्यकता पड़ी — जिनमें से 16 मामलों में C-Section के बाद और 4 में सामान्य प्रसव के बाद यह प्रक्रिया की गई।

यह अध्ययन ग्रांट गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और जे.जे. ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के डॉक्टरों — डॉ. तुषार टी. पळवे, डॉ. समीक्षा धामा, डॉ. अश्विनी सोनकांबले, डॉ. हर्षा राजानी और डॉ. कुमारी अंकिता — की टीम द्वारा किया गया।

Cesarean delivery in the operating room. Image: Live science

स्टडी में पाया गया कि C-Section डिलीवरी में हिस्टेरेक्टॉमी की दर थोड़ी अधिक थी: हर 245 सी-सेक्शन में से एक में यह प्रक्रिया करनी पड़ी, जबकि सामान्य प्रसव में हर 278 मामलों में से एक में। इन आपातकालीन सर्जरी के प्रमुख कारण थे प्रसवोत्तर रक्तस्राव (PPH) — यानी डिलीवरी के बाद अत्यधिक खून बहना — और प्लेसेंटा संबंधी जटिलताएं, खासतौर से प्लेसेंटा एक्रेटा (Placenta Accreta), जिसमें गर्भनाल अत्यधिक गहराई तक गर्भाशय की दीवार में चिपक जाती है।

स्टडी में यह भी सामने आया कि ज्यादातर हिस्टेरेक्टॉमी की ज़रूरत 30 से 39 वर्ष की उम्र की महिलाओं में पड़ी, जिनमें से अधिकांश पहले से दो या तीन बच्चों की मां थीं। हालांकि, 20 से 29 वर्ष की उम्र की 9 महिलाओं को भी यह प्रक्रिया करानी पड़ी, जिससे स्पष्ट होता है कि यह जोखिम केवल बड़ी उम्र की महिलाओं तक सीमित नहीं है। दो मामलों में हिस्टेरेक्टॉमी का कारण प्रत्यक्ष रूप से प्लेसेंटा एक्रेटा था।

हिस्टेरेक्टॉमी की दर

  • हर 278 वेजाइनल डिलीवरी में 1 मामला
  • हर 245 सीज़ेरियन डिलीवरी में 1 मामला
  • 20 से 29 वर्ष की उम्र की महिलाओं में 9 मामले पाए गए
Dr. Tushar T. Palve, Superintendent of Cama Hospital

डॉ. तुषार टी. पळवे, कामा अस्पताल के अधीक्षक और इस शोध के प्रमुख लेखक ने बताया कि जिन मामलों में अत्यधिक रक्तस्राव या गंभीर संक्रमण हुआ, वहां मां की जान बचाने के लिए हिस्टेरेक्टॉमी ही एकमात्र विकल्प था। ऐसे मामलों में त्वरित सर्जरी से जान बचाना ही प्राथमिक उद्देश्य होता है।

हिस्टेरेक्टॉमी के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव

हालांकि हिस्टेरेक्टॉमी एक जीवनरक्षक प्रक्रिया है, लेकिन इसके गंभीर दीर्घकालिक प्रभाव होते हैं। गर्भाशय हट जाने के बाद महिला की प्रजनन क्षमता पूरी तरह खत्म हो जाती है — यहां तक कि आईवीएफ जैसी तकनीकें भी विकल्प नहीं रह जातीं यदि ऑपरेशन के दौरान अंडाशय की रक्त आपूर्ति प्रभावित होती है, तो महिला को समय से पहले मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) का सामना करना पड़ सकता है।

कई महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन, भावनात्मक और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं होती हैं। विशेष रूप से 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए यह भावनात्मक रूप से बहुत गहरा झटका होता है, क्योंकि वे अचानक अपने मां बनने के भविष्य को खो देती हैं।

कैसे कम करें हिस्टेरेक्टॉमी का खतरा?

स्टडी में गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ अहम सुझाव भी दिए गए हैं, खासकर उन महिलाओं के लिए जो पहले C-Section करवा चुकी हैं या जिन्हें पहले से कोई चिकित्सीय समस्या है।

  • गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम करें ताकि सामान्य प्रसव की संभावना बढ़े।
  • जहां भी संभव हो, C-Section की बजाय सामान्य प्रसव को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • जिन महिलाओं की पहले दो बार C-Section हो चुकी हैं या जिनमें हीमोग्लोबिन की कमी, ब्लीडिंग डिसऑर्डर या प्लेसेंटा संबंधी जटिलताएं हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
  • अस्पताल में रक्त की व्यवस्था पहले से होनी चाहिए, संभावित आईसीयू एडमिशन के लिए तैयारी रखनी चाहिए, और रक्तस्राव रोकने वाली दवाएं पहले से मौजूद होनी चाहिए।

यह शोध स्पष्ट करता है कि C-Section एक सुरक्षित विकल्प जरूर है, लेकिन अनावश्यक मामलों में इसका उपयोग जटिलताओं को जन्म दे सकता है। अतः प्रसव से पहले उचित निर्णय लेना और डॉक्टरों की सलाह पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।

  • कुल हिस्टेरेक्टॉमी मामले: 22
  • नॉर्मल/वेजाइनल डिलीवरी: 04
  • सी-सेक्शन डिलीवरी: 16
  • प्लेसेंटा एक्रेटा के मामले: 02
  • मुख्य कारण: प्रसवोत्तर रक्तस्राव (Postpartum Hemorrhage), प्लेसेंटा संबंधी असामान्यताएं
  • उच्च जोखिम: 30–39 वर्ष की उम्र की महिलाएं, जिनके 2–3 बच्चे हैं
  • 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में: भावनात्मक आघात अधिक गंभीर देखा गया
  • प्रभाव: बांझपन, समय से पहले रजोनिवृत्ति (early menopause), मानसिक तनाव

सलाह:

  • गर्भावस्था के दौरान सक्रिय रहें
  • जब भी संभव हो, सामान्य प्रसव को प्राथमिकता दें
  • हाई-रिस्क मामलों में पहले से तैयारी रखें (जैसे ब्लड यूनिट्स, दवाएं, ICU सुविधा)

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