2022 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर में 50% से अधिक UTI के मामले महिलाओं में होते हैं, विशेष रूप से प्रजनन आयु के दौरान।
मूत्र मार्ग संक्रमण (Urinary Tract Infections / UTIs) दुनिया भर की महिलाओं में सबसे सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। महामारी विज्ञान के आंकड़ों के अनुसार, लगभग हर दो में से एक महिला अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार UTI का अनुभव करती है, और कई महिलाओं को बार-बार इसका सामना करना पड़ता है। हालांकि ये इन्फेक्शन मामूली लग सकते हैं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान ये गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का रूप ले सकते हैं। UTIs के कारण, वैज्ञानिक प्रमाण और गर्भावस्था में बढ़े हुए जोखिम को समझना इसकी रोकथाम, समय पर पहचान और सही उपचार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
महिलाओं को UTI होने का खतरा ज़्यादा क्यों होता है?
इसका जवाब मुख्य रूप से महिलाओं की शारीरिक रचना और शरीर क्रिया विज्ञान में छिपा है। महिलाओं की मूत्रमार्ग (urethra) की लंबाई पुरुषों की तुलना में बहुत कम होती है — लगभग 3 से 4 सेंटीमीटर, जबकि पुरुषों में यह करीब 20 सेंटीमीटर लंबी होती है। इस छोटे मूत्रमार्ग के कारण आंतों से आने वाले बैक्टीरिया, विशेष रूप से Escherichia coli, को गुदा या योनि क्षेत्र से मूत्राशय तक आसानी से पहुंचने का मौका मिलता है।
मूत्रमार्ग के द्वार का गुदा से निकटता बैक्टीरिया के स्थानांतरण के जोखिम को और बढ़ा देती है, खासकर जब स्वच्छता का ध्यान न रखा जाये। यौन संबंध के दौरान भी बैक्टीरिया मूत्र मार्ग में प्रवेश कर सकते हैं, जिसके कारण कुछ महिलाओं को “हनीमून सिस्टाइटिस” नामक समस्या होती है।
इसके अतिरिक्त, कुछ गर्भनिरोधक उपाय जैसे डायाफ्राम या स्पर्मिसाइड्स (शुक्राणुनाशक रसायन) योनि की प्राकृतिक सूक्ष्मजीव संरचना (vaginal flora) को बिगाड़ सकते हैं, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने का अवसर मिलता है। रजोनिवृत्ति (menopause) के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर गिरने से योनि की भीतरी दीवारें पतली हो जाती हैं और सुरक्षात्मक स्राव कम हो जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है।
क्लिनिकल अध्ययन क्या कहते हैं?
क्लिनिकल आंकड़े लगातार इस बात की पुष्टि करते हैं कि महिलाओं में UTIs का प्रचलन अधिक होता है। 2022 में Journal of Infectious Diseases में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि दुनियाभर में 50% से अधिक UTI के मामले महिलाओं में होते हैं, विशेष रूप से प्रजनन आयु (reproductive years) की महिलाओं में।
National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases (NIDDK) के अनुसार, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में UTI होने की संभावना 30 गुना अधिक होती है।
90% तक साधारण यूटीआई (uncomplicated UTI) के पीछे E. coli नामक बैक्टीरिया जिम्मेदार होता है, हालांकि Klebsiella, Proteus और Staphylococcus saprophyticus जैसे अन्य सूक्ष्मजीव भी संक्रमण में भूमिका निभाते हैं।
बार-बार इन्फेक्शन होना भी आम है: The Lancet में प्रकाशित एक समीक्षा में पाया गया कि पहली बार UTI होने के छह महीनों के भीतर 25–50% महिलाओं को इन्फेक्शन दोबारा हो जाता है।
गर्भावस्था के दौरान UTIs ज़्यादा खतरनाक क्यों होते हैं?
गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब शरीर में कई शारीरिक और हार्मोनल बदलाव होते हैं — और इन बदलावों के कारण महिलाओं में यूटीआई की संभावना बढ़ जाती है।
हार्मोनल परिवर्तन
गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे मूत्र मार्ग की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं। इससे मूत्र प्रवाह धीमा हो जाता है, जिसे urinary stasis कहा जाता है। यह स्थिति बैक्टीरिया के पनपने के लिए उपयुक्त वातावरण बना देती है।
बढ़ते गर्भाशय का दबाव
जैसे-जैसे भ्रूण बढ़ता है, गर्भाशय मूत्राशय और मूत्रवाहिनी (ureters) पर दबाव डालता है। इससे मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो पाता और कुछ मूत्र अंदर ही रह जाता है, जो बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका देता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली का दबाव
गर्भावस्था के दौरान मां की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वाभाविक रूप से कमजोर हो जाती है ताकि भ्रूण को शरीर अस्वीकार न कर दे। यह कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के लिए संक्रमणों, खासकर UTI से लड़ना मुश्किल बना देती है।
बिना लक्षण वाला बैक्टीरियल संक्रमण (Asymptomatic Bacteriuria)
गर्भवती महिलाओं में एक “साइलेंट” स्थिति भी देखी जाती है, जिसे Asymptomatic Bacteriuria कहा जाता है, जिसमें पेशाब में बैक्टीरिया तो होते हैं लेकिन कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। यदि इसका समय पर इलाज न हो, तो यह pyelonephritis (गंभीर किडनी संक्रमण) में बदल सकता है।
अगर UTI का इलाज गर्भावस्था के दौरान नहीं किया जाए, तो यह समय से पहले प्रसव (preterm labor), बच्चे का कम वजन (low birth weight) और यहां तक कि मां में सेप्सिस (Maternal sepsis) जैसे गंभीर परिणाम दे सकता है। इसलिए, गर्भावस्था में नियमित रूप से मूत्र परीक्षण करना एंटीनेटल केयर (antenatal care) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
महिलाएं UTI से कैसे बच सकती हैं?
UTI से बचाव न केवल संभव है, बल्कि अत्यंत आवश्यक भी है — विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, मधुमेह से पीड़ितों और बुजुर्ग महिलाओं जैसे उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए।
यहां कुछ प्रभावी बचाव के सुझाव दिए गए हैं:
- दिन में 8–10 गिलास पानी पिएं, ताकि शरीर से बैक्टीरिया बाहर निकल सकें।
- शौच के बाद आगे से पीछे की ओर सफाई करें, ताकि गुदा की बैक्टीरिया मूत्रमार्ग तक न पहुंचें।
- मूत्र को अधिक देर तक न रोकें, समय पर पेशाब करें।
- यौन संबंध से पहले और बाद में पेशाब करें, ताकि बैक्टीरिया बाहर निकल जाएं।
- कॉटन की अंडरवियर पहनें और ऐसे तंग कपड़ों से बचें जो नमी बनाए रखते हैं।
- सुगंधित फेमिनिन प्रोडक्ट्स, डूश (douches), और परफ्यूम वाले टॉयलेट पेपर से बचें, क्योंकि ये मूत्रमार्ग को उत्तेजित कर सकते हैं।
- गर्भावस्था के दौरान, सभी प्रसवपूर्व (prenatal) चेकअप समय पर कराएं, और पेशाब की जांच रिपोर्ट को नजरअंदाज न करें।
जागरूकता ही बचाव की कुंजी है
UTI भले ही आम हों, लेकिन यह कोई मामूली समस्या नहीं है। महिलाओं के लिए — विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए — इसके जोखिम और लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है। समय पर पहचान और सही इलाज गंभीर जटिलताओं से बचाव करता है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
सार्वजनिक जागरूकता, नियमित स्वास्थ्य जांच और कुछ सरल जीवनशैली के बदलाव महिलाओं में UTI के बोझ को काफी हद तक कम कर सकते हैं। आइए, महिलाओं को जानकारी से सशक्त बनाएं ताकि वे न केवल अपनी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की भी मूत्र संबंधी स्वास्थ्य की रक्षा कर सकें।