संयुक्त राष्ट्र के जनसांख्यिकीय अनुमान बताते हैं कि चीन की मौजूदा जनसंख्या 2100 तक घटकर 80 करोड़ रह सकती है।
बीजिंग: चीन सरकार ने देश में जनसंख्या में हो रही गिरावट को देखते हुए तीन साल से कम उम्र के बच्चों के माता-पिता को प्रति वर्ष प्रति बच्चा $500 (लगभग ₹41,000) की सब्सिडी देने की घोषणा की है। यह जानकारी सोमवार को सरकारी मीडिया ने दी।
चीन की जनसंख्या लगातार तीन वर्षों से घट रही है। संयुक्त राष्ट्र के जनसांख्यिकीय अनुमान बताते हैं कि 1.4 अरब की मौजूदा जनसंख्या 2100 तक घटकर 80 करोड़ रह सकती है।
यह सब्सिडी नीति 1 जनवरी 2024 से लागू मानी जाएगी। सरकारी ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी ने बताया कि यह फैसला चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और राज्य परिषद (चीन की कैबिनेट) द्वारा लिया गया है।
सीसीटीवी ने इसे “जनकल्याण बढ़ाने वाली एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नीति” बताया। उन्होंने कहा, “यह नीति देशभर के परिवारों को प्रत्यक्ष नकद सहायता प्रदान करती है और बच्चों के पालन-पोषण का बोझ कम करती है।”
पिछले साल जनसंख्या में 13.9 लाख की गिरावट
साल 2023 में चीन में केवल 95.4 लाख जन्म दर्ज किए गए, जो 2016 की तुलना में आधे हैं। 2016 वह वर्ष था जब चीन ने तीन दशक से लागू वन-चाइल्ड पॉलिसी को खत्म किया था। पिछले साल जनसंख्या में 13.9 लाख की गिरावट आई और चीन ने भारत को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश का ताज भी गंवा दिया।
शादी की दरें भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर हैं। देश में कई युवा दंपति बच्चों की परवरिश की लागत और करियर संबंधी चिंताओं के चलते बच्चा पैदा करने से बच रहे हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब देश के 20 से अधिक प्रांतीय स्तर के प्रशासन बच्चों की देखभाल के लिए सब्सिडी दे रहे हैं।
मार्च 2024 में, उत्तरी क्षेत्र इनर मंगोलिया की राजधानी होह्होट ने तीन या उससे अधिक बच्चों वाले दंपतियों को प्रति नवजात अधिकतम 1 लाख युआन (लगभग ₹14 लाख) तक की सहायता देने की घोषणा की थी। वहीं पहले और दूसरे बच्चे के लिए क्रमशः 10,000 और 50,000 युआन की सब्सिडी दी जा रही है।
घटती जनसंख्या के साथ-साथ वृद्ध आबादी में भी तेज़ी
पूर्वोत्तर लियाओनिंग प्रांत के शेनयांग शहर में स्थानीय प्रशासन तीसरे बच्चे वाले परिवारों को तीन साल तक हर महीने 500 युआन (लगभग ₹6,000) दे रहा है।
देश की घटती जनसंख्या के साथ-साथ वृद्ध आबादी में भी तेज़ी से वृद्धि हो रही है, जिससे पेंशन प्रणाली के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गई है। 2024 में 60 साल या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों की संख्या 31 करोड़ के करीब पहुंच गई है।