अगर ट्रायल सफल रहे, तो यह दवा साल 2030 तक बाजार में उपलब्ध हो सकती है।
ओसाका: जापान के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक ऐसी अनोखी दवा विकसित की है, जिसकी मदद से इंसानों में “तीसरी पीढ़ी” के दांत उगाए जा सकते हैं, यानी खोए हुए दांतों का प्राकृतिक विकल्प। जानवरों पर सफल परीक्षण के बाद अब इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गए हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में डेंचर और इम्प्लांट की ज़रूरत खत्म हो सकती है।
यह शोध ओसाका मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के किटानो अस्पताल में ओरल सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. कात्सु ताकाहाशी के नेतृत्व में किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में क्योटो यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल भी सहयोग कर रहा है। अगर यह परीक्षण सफल रहा तो दवा 2030 तक आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
जानवरों पर सफल रहा एंटीबॉडी ड्रग
इंसानों सहित कई जानवरों में ऐसे “टूथ बड्स” पाए जाते हैं, जिनमें नए दांत विकसित करने की क्षमता होती है। लेकिन अधिकतर मामलों में ये बड्स विकसित नहीं हो पाते और धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। रिसर्च टीम ने एक एंटीबॉडी दवा विकसित की, जो उन प्रोटीन को ब्लॉक करती है जो टूथ बड्स के बढ़ने में बाधा डालते हैं। 2018 में जब यह दवा फेरेट्स (जानवर) को दी गई, तो उनमें पूरी तरह से कार्यशील दांत उग आए।
डॉ. ताकाहाशी ने बताया, “बच्चों में दांतों की कमी जबड़े की हड्डी के विकास को प्रभावित कर सकती है। हमें विश्वास है कि यह दवा ऐसे समस्याओं को दूर करने में अहम भूमिका निभा सकती है।”
विशेषज्ञों ने बताया उम्मीद भरा लेकिन चुनौतीपूर्ण रास्ता
इस शोध पर टिप्पणी करते हुए, यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के एंडोडॉन्टिक्स विभाग के क्लीनिकल प्रोफेसर प्रोफेसर चेंगफेई झांग ने कहा कि इंसानों में दांत दोबारा उगाना एक “अल्ट्रा-मैराथन” जैसा है। उन्होंने ताकाहाशी के प्रयास को नवाचारी और आशाजनक बताया, लेकिन यह भी चेताया कि जानवरों पर देखे गए नतीजे हमेशा इंसानों में वैसा ही असर नहीं दिखाते।
उन्होंने एक अहम सवाल भी उठाया — क्या ये नए उगे दांत खोए हुए प्राकृतिक दांतों की ताकत और कार्यक्षमता को पूरी तरह से बदल पाएंगे? अगर यह सफल रहा, तो यह डेंटल मेडिसिन के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी खोजों में से एक साबित हो सकता है।