जन्म के तुरंत बाद, Breastfeeding यानि स्तनपान शिशु को गर्म रखने, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और मां-बच्चे के बीच का जुड़ाव मजबूत करने में मदद करता है।
जन्म के पहले छह महीनों तक केवल मां का दूध देना—बिना किसी अतिरिक्त भोजन या पेय, यहां तक कि पानी भी नहीं देना—बेबी के पोषण के लिए एकमात्र स्तनपान का मानक है। यह बेहतरीन स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है और शिशु के जीवित रहने, विकास और संपूर्ण वृद्धि में अहम भूमिका निभाता है।
मां का दूध क्यों है सबसे श्रेष्ठ
मां का दूध बेबी के लिए पूर्ण आहार है। यह प्राकृतिक रूप से सुरक्षित, स्वच्छ और बिना किसी तैयारी के हमेशा तैयार रहता है, चाहे पानी की गुणवत्ता और सफाई की स्थिति कितनी भी खराब क्यों न हो। जन्म के तुरंत बाद मां और बेबी के बीच त्वचा से त्वचा संपर्क के ज़रिये स्तनपान शुरू करना शिशु को गर्म रखने, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने, मां-बच्चे के रिश्ते को मज़बूत करने और लंबे समय तक दूध उत्पादन बनाए रखने में मदद करता है।
सिर्फ पोषण नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक दवा
मां का दूध केवल पोषण नहीं, बल्कि एक ताकतवर दवा भी है जो हर बच्चे की ज़रूरतों के अनुसार बनी होती है। पहला दूध जिसे कोलोस्ट्रम (colostrum) कहते हैं, एंटीबॉडी से भरपूर होता है जो संक्रमण और बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। स्तनपान करने वाले बच्चे खतरनाक बैक्टीरिया और दूषित खाद्य पदार्थों से स्वाभाविक रूप से सुरक्षित रहते हैं, जो डायरिया और कुपोषण का कारण बन सकते हैं—खासतौर पर आपातकालीन स्थितियों में यह और ज़रूरी हो जाता है।
अध्ययनों से पता चला है कि स्तनपान करने वाले बच्चों को कान के संक्रमण, दस्त, निमोनिया और अन्य सामान्य बचपन की बीमारियाँ होने की संभावना कम होती है।
जब मां बीमार होती है, तब उसका शरीर एंटीबॉडीज़ बनाता है जो दूध के ज़रिये बेबी तक पहुंचते हैं और उसे भी उस बीमारी से सुरक्षा मिलती है। इस तरह मां का दूध एक गतिशील और अनुकूल सुरक्षा प्रणाली की तरह काम करता है—जो हर बच्चे के वातावरण के अनुसार खुद को ढालता है।
आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ
स्तनपान न केवल परिवारों और स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए किफायती है, बल्कि इसका पर्यावरण पर प्रभाव भी बहुत कम होता है। इसके विपरीत, फ़ॉर्मूला दूध का उत्पादन औद्योगिक प्रक्रिया, पैकेजिंग और परिवहन पर निर्भर करता है जिससे पर्यावरण पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
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जब स्तनपान चुनौतीपूर्ण हो
जब कोई महिला स्तनपान कराने में असमर्थ हो या पर्याप्त दूध न बन रहा हो, तो कुछ महत्वपूर्ण बातों और सहायता उपायों पर विचार करना आवश्यक है:
शुरुआती दूध उत्पादन को समझना:
जन्म के पहले कुछ दिनों में मां थोड़ी मात्रा में कोलोस्ट्रम बनाती है, जो नवजात के लिए पर्याप्त और अत्यंत फायदेमंद होता है। इस समय किसी अतिरिक्त पानी, जूस या फ़ॉर्मूला की ज़रूरत नहीं होती। दूध कम होने की चिंता आम है लेकिन अक्सर अनावश्यक होती है।
स्तनपान में सफलता के लिए समर्थन:
जन्म के तुरंत बाद बार-बार स्किन टू स्किन संपर्क और बच्चे की दूध पीने की प्रबल प्रवृत्ति से दूध बनना शुरू होता है। इस प्रक्रिया में स्वास्थ्यकर्मी, दाई और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आम गलतियों से बचाव:
बहुत जल्दी फ़ॉर्मूला या बोतल से दूध पिलाना बेबी के प्राकृतिक स्तनपान रिफ्लेक्स को प्रभावित कर सकता है और स्तनपान में बाधा डाल सकता है। कोलोस्ट्रम के अलावा कुछ भी देना इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा सकता है और दूध उत्पादन को धीमा कर सकता है।
अगर माँ स्तनपान न करा पाए तो क्या करें?
कुछ दुर्लभ मामलों में, चिकित्सीय कारणों या अपर्याप्त दूध उत्पादन के कारण माँ स्तनपान नहीं करा पाती हैं। ऐसे में सुरक्षित विकल्प हो सकते हैं जैसे:
• मां के द्वारा निकाला गया दूध
• स्वस्थ दाई (wet-nurse) या मानव दूध बैंक से प्राप्त दान किया गया दूध
• बेबी फार्मूला जो बोतल और निप्पल की जगह कप से पिलाया जाए
सबसे ज़रूरी है कि मां को कुशल स्तनपान सलाहकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जोड़ना, ताकि उन्हें व्यक्तिगत सहायता मिल सके।
कोई भी मां जो स्तनपान नहीं करा पा रही हो, उसे अपराधबोध या शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। चाहे कारण कुछ भी हो—हर मां को सम्मान, समर्थन और करुणा से भरी देखभाल मिलनी चाहिए। — यूनिसेफ
अगर मां कुपोषित हो तो?
कुपोषित माताएँ भी आमतौर पर पर्याप्त पोषण वाला स्तन दूध बना सकती हैं। वास्तव में, सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में, जहाँ फॉर्मूला दूध पिलाने से स्वास्थ्य संबंधी ज़्यादा जोखिम हो सकते हैं, बच्चों के लिए स्तनपान सबसे सुरक्षित विकल्प है। ऐसी स्थिति में प्राथमिकता होनी चाहिए मां के पोषण में सुधार लाना, न कि स्तनपान को रोकना।
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यूनिसेफ माताओं और बच्चों के पोषण में कैसे मदद करता है?
यूनिसेफ 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मना रहा है, और सभी माताओं को सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है—चाहे वे अपने बच्चों को किसी भी तरह से दूध पिलाती हों। इसके प्रयासों में शामिल हैं:
• स्तनपान संबंधी चुनौतियों का सामना करने वाली माताओं के लिए कुशल परामर्श
• स्वास्थ्यकर्मियों को बिना किसी पूर्वाग्रह के, साक्ष्य-आधारित स्तनपान सहायता प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण
• कार्यस्थल पर परिवार-अनुकूल नीतियों की वकालत करना, जैसे स्तनपान अवकाश और स्तनपान के लिए स्थान
• आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षित फ़ॉर्मूला फीडिंग के लिए स्वच्छ जल और स्वच्छता को बढ़ावा देना।
हर माँ को सूचित, सम्मानजनक और करुणामय देखभाल का अधिकार है। स्तनपान हो या न हो, लक्ष्य हमेशा एक ही होता है: एक स्वस्थ बच्चा और एक समर्थित माँ।