शिशु की नींद और स्वास्थ्य पर असर डालता है दूध पिलाने का समय: स्टडी

अध्ययन से संकेत मिलता है कि अगर शिशुओं को उसी समय का निकाला हुआ दूध पिलाया जाए, जिस समय उसे पंप किया गया था, तो यह उनके सर्कैडियन संकेतों को मजबूत कर सकता है।

न्यू जर्सी: शिशु को पंप किया हुआ स्तन दूध (Expressed Breast Milk) कब पिलाया जाता है, यह उनके स्वास्थ्य और नींद के विकास में अहम भूमिका निभा सकता है। यह खुलासा एक नए शोध में हुआ है।

ब्रेस्ट मिल्क एक गतिशील (डायनामिक) भोजन है, जिस पर माँ के खान-पान, फिटनेस, जेनेटिक्स—और यहाँ तक कि उसके शरीर की आंतरिक घड़ी (Body Clock) का भी असर पड़ता है। रटगर्स यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ प्यूर्टो रिको के शोधकर्ताओं ने पाया कि दूध में मौजूद कुछ बायोएक्टिव तत्व दिन के अलग-अलग समय पर बदलते रहते हैं और यह माँ की जैविक घड़ी (Circadian Rhythm) से जुड़ा होता है।

Breast milk
The Independence

उदाहरण के लिए, melatonin (नींद नियंत्रित करने वाला हार्मोन) आधी रात के आसपास दूध में सबसे अधिक पाया गया, जबकि cortisol (तनाव को नियंत्रित करने वाला हार्मोन) सुबह के समय सबसे ज्यादा था। वहीं, oxytocin (लव हार्मोन), दूध का प्रोटीन lactoferrin, और Antibody immunoglobulin A पूरे दिन लगभग स्थिर बने रहे।

रटगर्स यूनिवर्सिटी की डॉ. मेलिसा वूर्टमैन ने समझाया—
“हम सभी के खून में सर्कैडियन रिद्म होता है, और स्तनपान कराने वाली माताओं में यह अक्सर दूध में भी दिखाई देता है। मेलाटोनिन और कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन इन्हीं रिद्म के अनुसार चलते हैं और माँ के रक्त से दूध में प्रवेश करते हैं।”

इस अध्ययन से संकेत मिलता है कि अगर शिशुओं को उसी समय का निकाला हुआ दूध पिलाया जाए, जिस समय उसे पंप किया गया था, तो यह उनके सर्कैडियन संकेतों को मजबूत कर सकता है। इससे उनकी नींद-जागने की लय और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है—खासकर नवजात शिशुओं में, जिनकी जैविक घड़ी अभी विकसित हो रही होती है।

यह अध्ययन न्यू जर्सी के रॉबर्ट वुड जॉनसन मेडिकल सेंटर में 21 माताओं पर किया गया, जो हाल ही में प्रसव के बाद थीं और जिनकी उम्र 21 वर्ष से अधिक थी। उन्होंने सुबह 6 बजे, दोपहर 12 बजे, शाम 6 बजे और आधी रात को 10-10 मिलीलीटर दूध के सैंपल दिए। यह प्रक्रिया दो अलग-अलग दिनों में दोहराई गई। इसके अलावा 17 अन्य माताओं से मिले अतिरिक्त सैंपल मिलाकर कुल 236 सैंपल का विश्लेषण किया गया।

रटगर्स की प्रोफेसर मारिया ग्लोरिया डोमिंग्वेज-बेलो ने एक आसान और व्यावहारिक उपाय सुझाया—
“दूध को स्टोर करते समय उस पर समय लिख दें, जैसे ‘सुबह’, ‘दोपहर’ या ‘रात’, और फिर उसी अनुसार बच्चे को पिलाएं।”

उनके अनुसार, “अगर पंप किया गया दूध उसी समय पिलाया जाए, तो दूध के प्राकृतिक हार्मोन और माइक्रोबियल संरचना बनी रहेगी और शिशु को महत्वपूर्ण सर्कैडियन संकेत मिलेंगे।”

व्यस्त माताओं के लिए, जो पंपिंग पर निर्भर रहती हैं, यह तरीका स्तन दूध के लाभों को अधिकतम करने और शिशु के स्वस्थ विकास को सहारा देने का एक उपयोगी उपाय हो सकता है।

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