गर्भवती महिलाओं को रेस्पिरेटरी सिंशियल वायरस (RSV) के खिलाफ टीका लगाने से नवजात शिशुओं में गंभीर फेफड़ों के संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर में उल्लेखनीय कमी आई है। यह जानकारी UK में हुई एक नई रिसर्च से सामने आई है।
द लैंसेट चाइल्ड एंड अडोलसेंट हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि जिन शिशुओं की माताओं को RSV वैक्सीन दी गई थी, उनमें RSV संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 72% कम थी। RSV एक आम लेकिन संभावित रूप से खतरनाक वायरस है जो शिशुओं में ब्रोंकियोलाइटिस जैसी बीमारी का कारण बनता है।

RSV वैक्सीन को यूके में पहली बार 2024 की गर्मियों के अंत में पेश किया गया था। यह अध्ययन 2024–2025 की सर्दियों के मौसम पर आधारित है और इस टीके की गर्भावस्था के दौरान प्रभावशीलता का पहला वास्तविक प्रमाण प्रस्तुत करता है।
एडिनबरा और लीसेस्टर विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने यूके के 30 अस्पतालों और प्रमुख विश्वविद्यालयों के सहयोग से इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के 537 ऐसे शिशुओं का डेटा विश्लेषण किया जिन्हें गंभीर श्वसन संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था। इनमें से 391 शिशुओं में RSV संक्रमण की पुष्टि हुई।
अध्ययन में सामने आया कि जिन माताओं के शिशुओं को RSV नहीं हुआ था, उनमें से 41% को वैक्सीन दी गई थी, जबकि RSV संक्रमित शिशुओं की माताओं में यह आंकड़ा केवल 19% था। जिन महिलाओं को डिलीवरी से कम से कम 14 दिन पहले वैक्सीन दी गई थी, उनके शिशुओं को सबसे अधिक लाभ मिला।
विशेषज्ञों का कहना है कि “यह आंकड़े इस टीके की प्रभावशीलता को दर्शाते हैं। मातृ टीकाकरण से शिशु चिकित्सा सेवाओं पर सर्दियों में पड़ने वाले दबाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।”
RSV यूके और वैश्विक स्तर पर शिशुओं के अस्पताल में भर्ती होने का प्रमुख संक्रामक कारण है। यह आम तौर पर जुकाम जैसे लक्षण पैदा करता है, लेकिन नवजात शिशुओं में यह गंभीर फेफड़ों के संक्रमण में बदल सकता है, जिससे गहन चिकित्सा की आवश्यकता पड़ती है।
यह वैक्सीन मां के शरीर में एंटीबॉडी (प्रतिरक्षा प्रोटीन) बनाकर काम करती है, जो गर्भ के दौरान शिशु को स्थानांतरित हो जाती हैं। ये एंटीबॉडी जन्म के बाद पहले छह महीनों तक शिशु को सुरक्षा प्रदान करती हैं, जो कि उसका सबसे कमजोर समय होता है।
मानसून में गर्भवती महिलाओं, बच्चों और नवजात शिशुओं के लिए ज़रूरी Vaccinations
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सिफारिश है कि गर्भवती महिलाओं को 28 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद यह टीका अवश्य लगवाना चाहिए, हालांकि डिलीवरी तक भी इसे दिया जा सकता है। शुरुआत में वैक्सीन देने से शरीर को पर्याप्त एंटीबॉडी बनाने और शिशु को समय पर स्थानांतरित करने का समय मिलता है।
हालांकि यह वैक्सीन अत्यधिक प्रभावी है, बावजूद इसके इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में केवल लगभग 50% गर्भवती महिलाएं ही इसे लगवा रही हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक से अधिक माताओं को टीके के प्रति जागरूक करना बेहद जरूरी है ताकि ज्यादा नवजात शिशुओं को सुरक्षा मिल सके।
“ये निष्कर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों को मजबूती से समर्थन देते हैं, जो गर्भावस्था के दौरान RSV वैक्सीनेशन को प्रोत्साहित करते हैं ताकि नवजात शिशुओं में गंभीर बीमारियों को रोका जा सके,” अध्ययनकर्ताओं ने कहा।
यह रिसर्च ब्रिस्टल, ऑक्सफोर्ड, क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट, यूसीएल और इम्पीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों के सहयोग से की गई।