मानसून का मौसम आते ही वातावरण में नमी, जमा हुआ पानी और जलजनित बीमारियों के कारण संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है। इस मौसम में गर्भवती महिलाओं और बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कम होने के कारण वे अधिक संवेदनशील होते हैं। ऐसे में समय पर किया गया टीकाकरण (Vaccinations) जानलेवा बीमारियों से बचाव में बेहद अहम भूमिका निभाता है।

हमने इस विषय में डॉ. रोहित काकु (MD – Physician & Diabetologist) से बात की। उन्होंने बताया कि मानसून से पहले और इसके दौरान कौन-कौन से टीके ज़रूरी हैं और इन्हें कब लगवाना चाहिए। उनका कहना है कि सभी बच्चों को इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) द्वारा निर्धारित नियमित Vaccinations शेड्यूल के अनुसार वैक्सीन समय पर ज़रूर लगवाने चाहिए।
मानसून में बच्चों के लिए आवश्यक टीके:
टाइफाइड का टीका
यह मानसून के दौरान सबसे अधिक अनुशंसित वैक्सीन्स में से एक है। टाइफाइड दूषित पानी से फैलने वाली बीमारी है, जो मानसून में आम होती है। यदि आप किसी ऐसे क्षेत्र में यात्रा कर रहे हैं जहां साफ-सफाई की सुविधा कम है, तो यह वैक्सीन ज़रूर लगवाएं। यह बच्चों को आमतौर पर 9 से 12 महीने की उम्र में लगाया जाता है और फिर 2 साल बाद एक बूस्टर डोज दी जाती है। टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन (TCV) को प्राथमिकता दी जाती है।
हैजा (Cholera) का टीका
यह टीका अब आपके क्षेत्र में बीमारी की स्थिति और स्थान विशेष की आवश्यकताओं के आधार पर लगाया जाता है। हैजा एक जलजनित रोग है जो दूषित पानी या भोजन के सेवन से होता है। इससे तेज बुखार, पेट दर्द आदि हो सकते हैं और समय पर इलाज न मिलने पर गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह टीका 1 वर्ष की उम्र से लगाया जा सकता है।
इन्फ्लूएंजा (Flu) का टीका
इन्फ्लूएंजा वायरस मानसून के मौसम में अधिक सक्रिय हो जाते हैं। इन्फ्लूएंजा का टीका हर साल बारिश से 2-3 हफ़्ते पहले लगवाने की सलाह दी जाती है। यह टीका 6 महीने की उम्र से सभी को लगाया जा सकता है। यह मौसमी फ्लू, निमोनिया और ब्रोंकाइटिस से बचाव करता है, जो नम मौसम में अधिक सामान्य रूप से देखे जाते हैं।

हेपेटाइटिस A का टीका
हेपेटाइटिस A एक वायरल संक्रमण है जो दूषित भोजन और पानी के माध्यम से फैलता है। इस रोग से बचाव के लिए बच्चों को टीका लगाने की सलाह दी जाती है, खासकर अगर वे इस बीमारी के अधिक प्रसार वाले क्षेत्रों या अपर्याप्त स्वच्छता वाले क्षेत्रों की यात्रा कर रहे हों। इस टीके की पहली खुराक 12–23 महीने की उम्र में और दूसरी खुराक 6–18 महीने बाद लेने की सलाह दी जाती है।
नियमित टीकाकरण (DTP, MMR, Polio, Hib, Rotavirus)
मानसून के मौसम में जलजनित बीमारियों और चोटों की संभावना अधिक रहती है, जो दूषित पानी और घावों के कारण होती हैं। सुनिश्चित करें कि ये सभी नियमित टीके समय पर लगे हों, क्योंकि मानसून में संक्रमण का खतरा अधिक होता है, विशेषकर उन बच्चों को जो इन स्थितियों के संपर्क में अधिक आते हैं। ध्यान दें कि रोटावायरस का टीका 8 महीने की उम्र से पहले पूरा किया जाना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण:
Tdap वैक्सीन (टेटनस, डिफ्थीरिया, पर्टूसिस): यह मां और नवजात दोनों को काली खांसी और नवजात टेटनस से बचाता है। यह हर गर्भावस्था के दौरान दूसरी और तीसरी तिमाही में दो बार दिया जाता है।

इन्फ्लुएंजा वैक्सीन: यह मां और शिशु दोनों को फ्लू से बचाता है (मां के ज़रिए नवजात को पैसिव इम्युनिटी मिलती है)। यह किसी भी तिमाही में दिया जा सकता है, पर मानसून से पहले या उसके दौरान लगवाना बेहतर रहता है।
कोविड-19 बूस्टर डोज (यदि ड्यू है): यह गर्भावस्था में सुरक्षित है और मां व गर्भस्थ शिशु दोनों को सुरक्षा प्रदान करता है।
हेपेटाइटिस B वैक्सीन (यदि पहले नहीं लगी हो): इसकी पहली डोज गर्भावस्था की शुरुआत में जितनी जल्दी हो सके देनी चाहिए।
नवजात शिशुओं के लिए टीकाकरण:
नवजात शिशुओं के लिए आवश्यक टीके (IAP दिशानिर्देशों के अनुसार, विशेष रूप से मानसून के दौरान)
जन्म के समय:
BCG, OPV-0, हेपेटाइटिस B (पहली डोज) और रोटावायरस के वैक्सीन सामान्य टीकाकरण कार्यक्रम के तहत लगाए जाते हैं।

6–10 सप्ताह की उम्र में:
पेंटावैलेंट-1, OPV-1 और रोटावायरस-1 जैसे वैक्सीन डायरिया और सांस संबंधी बीमारियों से सुरक्षा के लिए बेहद जरुरी हैं।है
14 सप्ताह की उम्र में:
पेंटावैलेंट-3, OPV-3, रोटावायरस-3 और IPV वैक्सीन दिए जाते हैं ताकि टीकाकरण पूरा हो और निरंतर सुरक्षा बनी रहे। संपूर्ण टीकाकरण कवरेज बनाए रखना बेहद जरूरी है।
अतिरिक्त जागरूकता सुझाव:
- 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए रोटावायरस और टाइफाइड वैक्सीन बहुत महत्वपूर्ण हैं।
- उबला या फिल्टर्ड पानी पिएं, साफ भोजन खाएं और मच्छरों से बचाव करें।
- टीकाकरण मानसून से पहले (अप्रैल–जून के बीच) करवाना सबसे उपयुक्त होता है।
- मां और बच्चे दोनों के टीकाकरण रिकॉर्ड अपडेट रखें।
- अगर आप बाढ़ प्रभावित या हाई-रिस्क क्षेत्र में यात्रा कर रहे हैं, तो पेडियाट्रिशियन या गायनोकॉलजिस्ट से परामर्श लें और वैक्सीनेशन शेड्यूल को पर्सनलाइज़ करें।